Wednesday 2 December 2015

Na kisi ke dil ke kareeb hu main..

 Kabhi kabhi dil dubta ghum ki gehrayi mai,
hum dhundte shor khusi ki virani si tanhayi main.
Koi nahi aata dard batne ko mere, ..


ना किसी के दिल के करीब हूँ मैं
ना किसी की आँखो का नूर हूँ,
पास है हर खुशी मेरे
फिर भी हर खुशी से दूर हूँ.

बूँदे जलाती मुझे इन बारिशों के
खाये हैं ठोकर मैंने
हरदम ख्वाहिशों के,
एक पल में मरता सौ बार मैं ,
अपनों की खुशी के लिए पर मैं
जीने को मजबूर हूँ।।
ना किसी के दिल के करीब ....

दबी है हस्ती मेरी उम्मीदों से
कैसे ये बोझ उठाऊँगा,
अपनों की उम्मीद के आगे
खुद को दबा पाऊँगा ,
के खो दी है जीसने चमक अपनी,
मैं वही कोहिनूर हूँ।।
ना किसी के दिल के करीब हूँ मैं
ना किसी के आँखों का नूर हूँ...

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