Wednesday 2 December 2015

Walk alone

Poem which encourages you to walk alone,
even if nobody by your side nobody help you and give you strength and hope ,
you just walk alone.

घोंसले से दूर भटका
तू पंछी बावरा,
आसमान ने ठुकराया तुझे
और ना घर तेरा.
उम्मीदों के बोझ ने
कतर दिये जो पंख तेरे,
कैसे स्वच्छंद उडान उडे तू,
बोल रे पंछी तू मेरे?
तेरी तो ये रैन ना पागल,
ना तेरे है ये सवेरा..
कहाँ जाये तू भटका बावरा..
जहाँ गया तू जहाँ उडा तू,
सबने अपनी बात कही,
तू क्या चाहता
कोइ ना पुछे,
किसी ने मन की टोह ना ली,
ख्वाहिशों के पिंजरे मैं बंद,
हर तरफ है तेरे उम्मीदों का घेरा....
जायेगा तो कहाँ जायेगा
कोइ ना अपना जहान तेरा....

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