Friday 3 June 2016

पनाह

थक गये होगे तुम,
आओ मेरी पनाहो में बैठो.
चाहो तो काट लो कुछ पल आराम के,
आओ प्यार की छाँवो मे बैठो.
यकीन रखो साथ देंगे तेरा हम
साये की तरह,
तेरे अपने है हम ना समझ
पराये की तरह..
आँखें तेरी चुमके आ
अपने सपने तेरी आँखों में भरदूँ,
टूटे तेरे सपनों को
अपना घर दूँ...
मैं तुम्हें यूँ ही निहारता हूँ
तुम हो जाओ मेरे गाँव मेँ ...
आओ बैठो कुछ पल ....
माना धोखे मिले तूझे,
पर यकीन कर तेरे अपने हैं हम,
जिसने दम तोड दिया है,
वही सारे सपने है हम.
थाम लो वफा की डोर ये,
तू भी तो है वफा की चाह में ...
आ जाओ मेरी पनाह में ..

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