Sunday 5 June 2016


हाँ बस इसी पल वक्त रुक जाये,
जब लब तेरे मेरे लबों हे टकराये।
मोड दे कोइ वक्त की रफ्तार को,
रूहो के मिलने का वक्त ये
कभी बीत ना पाये।।
खुलने लगीं जैसे गिरहे जिंदगी की,
दो दीवानों ने प्यार कि डोर एसे उलझाये,
दोनो दिलों में अजीब सी उलझन
कैसे दिल की बात आँखों से समझाये।
उडने लगे शरारे शबनम के,
एसे जले दो जिस्म इश्क की लौ में
प्यार की फुहार से जीवन नम हो जाये।
रोक दे तू ये वक्त ऐ कुदरत,
दो कोरी रूह ये हर बंधन तोड जाये।।।।

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