Thursday 2 January 2020

रिश्ता निभाने के लिए

रिश्ता निभाने के लिए कभी कभी झुकना जरुरी है, 
बिना तालमेल कोई रिश्ता नहीं चल सकता 
और कहा भी गया है के एक हठी और घमंडी व्यक्ति प्रेम के योग्य नहीं होता क्योंकि उसका अहम और स्वार्थ उसके लिए सर्वोपरि है। 
पर किसी रिश्ते के लिए इतना मत गिरो के खुद से नजर ही ना मिला सको, 
क्योंकि कोई भी रिश्ता आपके आत्मसम्मान से बडा नहीं होता। 
और जहाँ सम्मान नहीं वहाँ प्रेम की कामना करना मूर्खता है।

Tuesday 31 January 2017

सपने ये तेरे मेरे


ना तू सुन्दर , ना मैं सुन्दर
फिर भी एक सुन्दर रिश्ता बनाना है ,
बिठा कर तुझे इस बाहों के डोली में
चंदा के पार जाना है ..
भर देने है आँखों में सपने सात रंग में ,
उनमे अपने प्यार का रंग भी मिलाना है..
हर ख़ुशी तेरी ज़िन्दगी में भर कर
तेरे आँखों से हर आंसू चुराना है ..
बांध देनी है किस्मत की डोर तेरी किस्मत से,
प्यार की चादर पे ख़ुशी की गांठ यूँ लगाना है ,
कोई न तोड़ पाए फिर इस गठबंधन को
विस्वास की इतनी मजबूत गांठ हमे लगाना है ..
चूम कर तेरी आँखों को अपने होठो से,
सिंदूरी तेरी काया यूं बनाना है ,
दे देनी है बस जान फिर तेरे सड़के में ,
खुद की ही नजर न लगा जाये कही
अपने बाहों में फिर तुझे छुपाना है ..
खो जाना है तुझमे मुझे यु,
के फिर न मुझे खुद को पाना है ...
चाँद के पर फिर ले जा कर हमे,
तारों के आगे एक दुनिया बनाना है .. 

Tuesday 15 November 2016

दर्द तो होगा


यू हि नहीं नम हे ये नैन बेचारे,
निकले हे अश्क
कोइ मर्ज तो होगा ,
गर बहारों में महकेगी जो जिंदगी
तो जिंदगी का मौसम कभी शर्द भी होगा.
न वक़्त से शिकायत है ना लोगो से,
दिल ही तो है ना
जबतक धडकेगा
दर्द तो होगा ..

Friday 11 November 2016

Ishq Aur Ehsaan


Kal the jo apne,

wo aaj ajnabi anjan ho gaye..

Ishq me kiya gaya har kaam unka

aaj ehsaan ho gaye.

Hum se teri meri ka fasla kitna jaldi tay karte hai rishte ye,

kabhi khamoshiyo me bhi baatein hoti thi, ,

aaj juban ke sath sath aankhe bhi bezuban ho gaye..

Har lamha sambhala rishta humne khud ki najro me gir kar,

aaj jara si narazagi kya dikhayi

to sabki najar me bewafa beimaan ho gaye..

Socha tha ishq kar ke milegi rooh ko rahat apni,

dil diya use aur hum bejaan ho gaye..

Monday 7 November 2016

फिर से प्यार


हर शिकवे शिकायत दिल से बस दूर कर दे ,
फिर से प्यार करना सिख लूं मैं
तू मुझे इतना मजबूर कर दे..
जिस एहसास को दफना दिया मैंने दिल के कोने में कही,
जिस रास्ते से निकल आया मैं दूर कहीं,
ले चल उन रास्तो पे फिर से,
उस जमीन को तू फिर से नूर कर दे ..
फिर से प्यार करना सिख लूं मैं,
तू मुझे इतना मजबूर कर दे ..
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के मायने दे जा,
ख़ुशी से दू तर कर दे..
बेफिक्रे मलंग सी इस ज़िन्दगी को .
तू अपने प्यार से बेसबर कर दे..
खोने के डर का एहसास दे तू,
पाने की खुशी की अहमियत फिर हो मुझे,
फिर से रुला मुझे उस प्यार के लिए,
फिर से प्यार हो मुझे,
पत्थर हो गया मैं इस पत्थर से लोगो के बिच,
तू मुझे अपने प्यार से कोहिनूर कर दे,
फिर से प्यार करना सिख लूं मैं,
तू मुझे इतना मजबूर कर दे .. 

Sunday 30 October 2016

मोहब्बत के पैमाने



चल इस बार सोच का नहीं
ज़िन्दगी का दायरा बढ़ाये हम दोनों ,
तेरे हिस्से का ग़म मेरे हिस्से में आ जाये
और मेरे हिस्से की खुसी तेरे हिस्से समां जाये ..
चल इस बार बातो से नहीं
ज़िन्दगी से एक हो जाये हम दोनों,
तेरा दिल रहे
और मेरी साँसे हों..
चल इस बार बढ़ाये हम दुआओं का दायरा
मेरी दुआ तुझे लगे
और तेरी मुफ्लिशी मुझे लग जाये ..
अलग रहकर एक रहे हम
कोई बंधन कोई जोर हमे अलग न कर पाए ..
इस बार बदलते है पैमाने इश्क के
दिलो से नही आँखों सी मोहब्बत हो अपनी
एक रोये तो दूसरा न खुस रह पाए ..
किताबो से परे कहानियों से आगे
एक ऐसी प्रेम कहानी लिखी जाये तेरी और मेरी,
साँसे ख़त्म हो जाये हमारी
पर ये दास्तान ख़त्म न हो पाए ...

Wednesday 5 October 2016

जंग और इंसान


तबाही का ये मंजर देखो,
हरियाली को तरसती धरती ये बंजर देखो॥
हर एक जर्रा बयान कर रही दास्तां जंग की ,
जंग के हिमायतियों तुम ये मंजर देखो ॥
खून से सनी हुई ये खेते देखो ,
तबाही की कहानी सुनाती ये रेतें देखो ॥
जहां तहां बिखरे कटे हुए ये अंग देखो ,
जंग के हिमायतियों
तुम ये भयानक रंग देखो ॥
तड़पती चीखे , टूटती साँसे देखो ,
टूटती चुड़ियाँ उजड़ती मांगे देखो॥
गर्दिशों के वो दिन देखो ,
सिसकती हुई वो राते देखो,
बेटे को रोटी मान की आंखे देखो ,
बाप को गले लगाने को तरशती उन बच्चो की बाहें देखो ॥
उजड़ा हुआ वो सहर , बंजर बने वो गाँव देखो,
खून की नदी बहती हार जीत की वो नाओ देखो ॥
तुमने तो दिखा दी घर बैठे अपनी देशभक्ति ,
मिल गयी तसल्ली मिल जाएगा श्रेय
पर जिनहोने सबकुछ गवाया उनका हाल देखो ॥
घर बैठे तुम जंग का रंग देखो॥
अगर हम निभा रहे देशभक्ति
तो वो भी तो अपना फर्ज़ निभा रहे है,
क्यू लड़ी जा रही जंग
क्या होगा इससे हासिल
बिना सोचे ये बस जान गवाए जा रहे है ॥
जंग से कोई कुछ पता नहीं बस गवाता है,
गुनहगार तो बचे रह जाते है,  बेगुनाह मारा जाता है ॥
छोड़ जाते वो पीछे बस आफ्नो को रोने के लिए,
हो जाती ज़िंदगी वीरान उनकी
नहीं बचता कुछ फिर खोने के लिए ॥
जंग तो बस कुछ दिनो की बात है
फिर खत्म हो जाता है,
पर इसका दर्द और दाग ताउम्र रह जाता है ॥