Sunday 30 October 2016

मोहब्बत के पैमाने



चल इस बार सोच का नहीं
ज़िन्दगी का दायरा बढ़ाये हम दोनों ,
तेरे हिस्से का ग़म मेरे हिस्से में आ जाये
और मेरे हिस्से की खुसी तेरे हिस्से समां जाये ..
चल इस बार बातो से नहीं
ज़िन्दगी से एक हो जाये हम दोनों,
तेरा दिल रहे
और मेरी साँसे हों..
चल इस बार बढ़ाये हम दुआओं का दायरा
मेरी दुआ तुझे लगे
और तेरी मुफ्लिशी मुझे लग जाये ..
अलग रहकर एक रहे हम
कोई बंधन कोई जोर हमे अलग न कर पाए ..
इस बार बदलते है पैमाने इश्क के
दिलो से नही आँखों सी मोहब्बत हो अपनी
एक रोये तो दूसरा न खुस रह पाए ..
किताबो से परे कहानियों से आगे
एक ऐसी प्रेम कहानी लिखी जाये तेरी और मेरी,
साँसे ख़त्म हो जाये हमारी
पर ये दास्तान ख़त्म न हो पाए ...

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