Friday 19 February 2016

मासूमियत के तेरे



मासूमियत की तेरे हर राज जानते हैं,
होठ तेरे जो ना कहते हम
वो हर अल्फाज जानते हैं।
नाजो अदा से अपने
घायल किया जो हमको,
कितने टुकडो में टुटा दिल ये मेरा ,
जालिम खबर क्या तुमको।
झुठा था प्यार तेरा ,
ये बात जानते हैं ।
मासूमियत की तेरी
हर बात जानते हैं।
बोलते रहते तुम
और हम सुनते रहे ।
हर एक झुठ , हर एक फरेब से
नजर में मेरी और तुम गिरते रहे ,
बेहयायी पर अपने तुमको है कितना
हम नाज जानते हैं।
मासूमियत के तेरे हर राज जानते हैं।
हमारी शराफत को तुम बेवकूफी समझ ,
हमें और तडपाते रहे  ।
मर गये हम तेरी संगदिली से,
और कब्र पर तुम मेरे
तुम अपनी जीत का जश्न मनाते रहे ।
जानते हैं बेहया से हया की उम्मीद बेईमानी है,
हर अदा में टपकता हो फरेब
उससे वफा ए उम्मीद बेईमानी है  ।
फिर भी तुझे ऐ संगदिल
खून अपना किया था माफ जानते हैं ।
मासूमियत के  तेरे
हर राज जानते हैं। ।।।

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