Sunday 28 August 2016

कश्म्कश



तेरे करीब आये
या तुझसे दुर जाये?
कशमकश में है दिल
ये रिश्ता कैसे निभाए?
तुमने तो खींच दी है
दोस्ती की लकीर बीच में,
उस लकीर के हम पार कैसे जाये?
तूझे पाने का अरमान भी है
तूझे खोने का डर भी।
कह दे तो तू तोड दे ना दोस्ती,
ना कहें तो किसी और का ना हो जाये तू,
मानता नहीं ये दिल मेरा
इस दिल को कैसे हम समझायें ...

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