Wednesday 31 August 2016

मोहब्बत ??




कितने झूठे होते है ये
मोहब्बत के वादे ,
देख आज तू भी ज़िंदा है और मैं भी ॥
हक़ीक़त जो थे कभी
वो बन गए आज वादे,
देख मैं भी खुस हूँ और तू भी ॥
साँसो सरीखा था इश्क़ हमारा
जिस्म से चलकर रूहों मे बस्ता था इश्क़ हमारा,
कभी सुना नहीं था साँसो और रूहों के बिना
कोई जी सकता है यहाँ ,
बस कहने बातें ही थी वो सायद
देख तू भी जी रहा है ,
और मैं भी ॥
वादा तो ये भी था के क़यामत तक का साथ होगा,
चाँदनी रातो से आँसू भरे तनहाई तक साथ होगा,
पर चल दिये ऐसे अजनबी से
के मूड के भी देखना मुनासिब नहीं समझा आपने,
आफ्नो से लेकर परायों तक का सफर,
बहोत जल्दी तय किया आपने॥
बातें ही थी सायद सब ये,
देख तू भी नहीं शर्मिंदा है और ज़िंदा हूँ मैं भी ॥
कितने झूठे होते हैं मोहब्बत के वादे ॥

No comments:

Post a Comment